Wednesday, September 16, 2009

भगवान से भी बड़े हैं पेड़ -डाॅ. समित शर्मा

विश्व ओजोन परत संरक्ष्ण दिवस पर बोले जिला कलक्टर
नागौर। स्थानीय जिला परिषद सभागार में वन मण्डल नागौर द्वारा विश्व ओजोन परत संरक्षण सप्ताह का समापन समारोह आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि जिला पुलिस अधीक्षक बाल मुकुन्द वर्मा ने ओजोन परत के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होनें कहा कि मानव निर्मित कृत्रिम यौगिकों से निकलने वाली क्लोरीन व ब्रोमीन गैंस उपरी समतापमण्डल में पंहुच कर ओजोन परत को स्थाई रूप से हानि पंहुचाती है। मानव जीवन को सुरिक्षत रखने के लिए हानिकारक गैसों का उपयोग कम करना होगा। प्राणी मात्र का जीवन सुरक्षित हो,इसके लिए वन मण्डल नागौर द्वारा विश्व ओजोन परत संरक्षण सप्ताह मनाकर जो जागृति पैदा की है। इसका फायदा आम जन को मिलेगा। विशेषकर बच्चों में जो प्रतियोगिताओं के माध्यम से जागृति लाई गई है। यह सराहनीय कदम है। उन्होनें उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि वे आज के आयोजन से मिले संदेश को जन जन तक पंहुचाए और हरसम्भव सहयोग देकर ओजोन परत का संरक्षण करें। उन्होनें प्रतियोगिता मंे भाग लेने वाले छात्र छात्राओं को धन्यवाद दिया।
समारोह के अध्यक्ष जिले के नए कलक्टर डाॅ. समित शर्मा ने ओजोन परत के संरक्षण, पर्यावरण के संरक्षण व संतुलन तथा खेजड़ी पेड़ की रक्षा करने वाले 363 वीर बिश्नोई स्त्री पुरूष व बच्चों को श्रद्धासुमन अर्पित किए और 279 वर्ष पहले हुई खेजड़ली बलिदान की घटना का स्थान, दिनांक व समय बताकर विस्तार से वर्णन प्रस्तुत किया। जिला कलक्टर ने भगवान महावीर और पेड़ की कहानी सुनाकर उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। उन्होनें भारतीय संस्कृति में पेड़ की पूजा का महत्व उजागर किया और कहा कि पीपल की, बड़ की, तुलसी की पूजा करने वाले भारतीय पाश्चात्य संस्कृति में कहां चले गए? इस पर चिंतन करना आवश्यक हो गया है। उन्होनें जिले की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की समस्या को बताया। जिसके समाधान के लिए वृक्षारोपण को आवश्यक बताया। जिला कलक्टर ने खनि अभियंता को निर्देश दिए कि वे उन उद्यमियों से बड़ी संख्या में वृक्षारोपण करवाएं जो अपना उद्योग चलाकर पर्यावरण को नुकसान पंहुचाते हैं। वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगले 15 दिनों में जिले में कम से कम एक लाख पौधे लगाए जावें। उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि वे एक एक पौधा जरूर लगाए। जिला कलक्टर ने वृक्षों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और आरामशीनों के लाईसेंसों की जांच करने और उन पर निगरानी रखने के निर्देश दिए।
वन विभाग के उप वन संरक्षक के. आर. काला ने विश्व ओजोन परत संरक्षण दिवस के आयोजन पर प्रकाश डाला। उन्होनें कहा कि 09 सितम्बर से शुरु किए गए ओजोन परत संरक्षण सप्ताह के दौरान जिले में वन विभाग के सात रेंज मुख्यालयों पर निम्बध लेखन, नारा लेखन, यथास्थान रंगीन चित्रकारी, नुक्कड़नाटक (ड्रामा), प्रश्नोतरी, आशुभाषण, माॅडल प्रर्दशनी, वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। प्रतियोगिताआंे के माध्यम से छात्र, छात्राओं में ओजोन परत संरक्षण के प्रति जागृति पैदा करने के प्रयास किए गए।उन्होनें विश्व स्तर पर ओजोेन परत संरक्षण दिवस घोषित करने की जानकारी दी। ओजोन परत में छेद होने से पृथ्वी पर होने वाले नुकसान की ओर इंगित किया। श्री काला ने सप्ताह समापन समारोह में भाग लेने वाले सभी अतिथिगण, श्रोतागण, स्कूली विद्यार्थीगण और वन विभाग के स्टाफ, मीडियाकर्मियों का स्वागत किया।
बलदेव राम मिर्धा राजकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. शंकरलाल जाखड़ ने ‘‘ ओजोन परत संरक्षण की आवश्यकता’’ पर प्रकाश डाला। उन्होनें ऐशो आराम की वस्तुओं का उपयोग कम करने की अपील की।
पर्यावरणविद् एवं अखिल भारतीय जीवरक्षा बिश्नोई सभा के जिलाध्यक्ष रामरतन बिश्नोई ने ‘‘ओजोन परंत संरक्षण के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में वनों व वन्यजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका एवं उनकी सुरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण में जनभागीदारी की आवश्यकता’’ पर विस्तार से बताया। उन्होनें कहा कि आज से 523 वर्ष, ग्यारह माह और पांच दिन पहले पर्यावरण के महानवेता ‘‘श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान’’ ने अपनी वाणी में ओजोन परत का वर्णन करते हुए वन्यजीवोें की सुरक्षा, वृक्षों की सुरक्षा पर जोर दिया था। उनके महान विचारों पर चलकर उनके अनुयायी आज भी पर्यावरण संरक्षण में समर्पित रहते हैं। यह जनभागीदारी का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होेनें उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि यथाशक्ति योगदान देकर पर्यावरण का संतुलन बनाए रखे। जिससे ओजोन परत का छेद पुनः बंद हो सकता है और मानव जीवन सुरक्षित हो सकता है।
डाॅ. सहदेव रिणवा ने ‘‘पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए ओजोन परत की महता व इस के संरक्षण मंे जनभागीदारी’’ विषय पर विचार प्रस्तुत किए।
प्रोफेसर पे्रमसिंह बुगासरा ने विश्व स्तर पर ओजोन परत के संरक्षण से सम्बन्धी बनाए गए नियमों पर प्रकाश डाला। उन्होनें बताया कि सन् 1987 में जो प्रयास किए गए। उसके बाद 5 बार संशोधन भी किया गया। आज विश्वस्तर पर ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाकर जागृति पैदा की जा रही है। वह प्राणीमात्र के लिए आवश्यक है।
नागौर जिले के खनि अभियंता जेपी जाखड़ ने कहा कि सूरज की घातक किरणों को रोकने के लिए वायुमण्डल में पृथ्वी से धरातल से ऊपर 10 से 40 किलोमीटर तक समतापमण्डल में ओजोन के अणु पाए जाते हैं। उनको सुरिक्षत रखना जरूरी है। वे सूर्य व पृथ्वी के बीच एक अदृश्य पर्दे के समान विद्यमान है। जो हानिकारक किरणों को रोककर जीवन को सुरक्षा प्रदान करती है। आज पृथ्वी पर जो जीवन दिखाई देता है। वह ओजोन परत के बिना रहना सम्भव नहीं है। प्राणीमात्र के खतरे को रोकने के लिए ओजोन परत का संरक्षित होना जरूरी है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि बालमुकुंद वर्मा एवं समारोह के अध्यक्ष डाॅ. समित शर्मा ने वन विभाग द्वारा जारी ओजोन परत संरक्षण से सम्बन्धित ग्लोब एवं छतरीके चित्र से ओजोन परत को सुरक्षित रखने का संदेश देने वाले आकर्षक पोस्टर एवं स्टीकर्स का विमोचन किया।
समारोह के अंत में नागौर क्षेत्रीय वन अधिकारी महेन्द्रसिंह चैधरी ने सम्भागियों एवं अतिथिगण का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन मोहम्मद शरीफ छींपा ने शेरों शायरी के साथ आकर्षक ढ़ंग से किया।
जिले भर से आए विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र छात्राओं को जिला कलक्टर डाॅ. समित शर्मा एवं जिला पुलिस अधीक्षक बालमुकुंद वर्मा ने स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। जिले भर से आए वन विभाग के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों, शिक्षक शिक्षिकाओं, जनप्रतिनिधियों, पत्रकारों तथा ग्रामीणो ने बड़ी संख्या में भाग लिया। अल्पाहार के बाद समारोह का विसर्जन किया गया।
जिला परिषद सभागार में ही समारोह के बाद उपवन संरक्षक के आर काला ने वन विभाग के स्टाफ की बैठक ली। उन्होनें वृक्षारोपण, नरेगा कार्य, वन्यजीवों की सुरक्षा, वनों की सुरक्षा सम्बन्धी बिन्दुओं पर समीक्षा कर आवश्यक निर्देश जारी किए।

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